Adani Enterprises FPO: अदानी ग्रुप की कंपनी Adani Enterprises अभी शुक्रवार को अपना 20,000 करोड़ FPO यानी फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर लेकर आई थी. FPO कल सब्स्क्रिप्शन के लिए खुला था. इसमें कुल 0.01 गुना और रिटेल पोर्शन में 0.02 गुना सब्सक्रिप्शन हुआ है. यह मंगलवार को बंद होने वाला है. ऐसी रिपोर्ट्स आ रही थीं कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी Hindenburg Research की रिपोर्ट आने के बाद बैंकर्स इस FPO की डेट आगे खिसकाने और इशू प्राइस को घटाने पर विचार कर रहे हैं. लेकिन अदानी ग्रुप ने शनिवार को एक स्टेटमेंट जारी कर इन अटकलों पर फुलस्टॉप लगा दिया है. दरअसल, अदानी ग्रुप की सात कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं, लेकिन मंगलवार को फोरेंसिक ऑडिट फर्म Hindenburg Research की रिपोर्ट आने के बाद इनमें 20-25% की गिरावट आई है. ग्रुप का 4 लाख करोड़ से ज्यादा मार्केट कैप साफ हो गया है. ऐसे में FPO को लेकर चिंताएं जताई जा रही थीं.
अदानी एंटरप्राइजेज़ के शेयर शुक्रवार को सीधे 20% गिर गए थे, जिससे सेकेंडरी सेल में इसका मिनिमम ऑफर प्राइस 11% से नीचे आ गया. रिटेल पोर्शन के लिए पहले लगभग 1 पर्सेंट का अभिदान हुआ, जिससे ये चिंताएं उभर गई हैं कि FPO आगे बढ़ेगा या नहीं. अदानी ग्रुप ने FPO में 3,122 रुपये प्रति शेयर पर फ्लोर प्राइस और 3,276 रुपये का कैप रखा था, लेकिन जब शुक्रवार को बाजार बंद हुआ तो इसके शेयर की कीमत गिरकर 2,761.45 रुपये पर रह गई थी. एक सूत्र ने बताया कि अब प्राइस को घटाने पर विचार हो रहा है. इसपर सोमवार को फैसला लिया जा सकता है.
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निवेशकों के नाम पर शनिवार को एक बयान जारी कर कंपनी ने कहा है कि उसका FPO की सफलता में पूरा भरोसा है. FPO के शेड्यूल और इशू प्राइस में कोई बदलाव नहीं होगा. बैंकरों और निवेशकों सहित हमारे सभी स्टेकहोल्डर्स को FPO में पूरा भरोसा है और इसकी सफलता को लेकर आश्वस्त हैं. कंपनी ने कहा कि उसके खिलाफ एक रिपोर्ट में कुछ आरोप लगाए हैं, जिसे हमने खारिज कर दिया और ये निराधार हैं. हमने स्टॉक एक्सचेंजेज़ को इस संबंध में संपर्क किया है और जरूरी स्पष्टीकरण दे दिया है.
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बता दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च फर्म ने मंगलवार को एक रिपोर्ट पब्लिश की थी और कहा था कि उसके दो साल की रिसर्च के बाद यह पता चला कि अदानी समूह दशकों से ‘खुले तौर पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है. इसपर अदानी ग्रुप ने पलटवार किया है और कहा कि इस रिपोर्ट का मकसद FPO को नुकसान पहुंचाना है और सारे आरोप निराधार हैं.
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