ब्रोकरेज फर्म जेफरीज (Jefferies) ने हाल में दिग्गज कारोबारी और अदाणी ग्रुप (Adani Group) के चेयरमैन गौतम अदाणी (Gautam Adani) से मुलाकात की. इस मुलाकात में गौतम अदाणी ने पावर सेक्टर के भविष्य, इसमें मौजूद संभवानाओं और मौकों के साथ-साथ, कर्ज प्रबंधन और क्रेडिट रेटिंग जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की.
जेफरीज द्वारा इस मुलाकात से जुड़ी जानकारी के साथ शेयर किए गए नोट के मुताबिक, ‘भारत में कमर्शियल और इंडस्ट्रियल स्केल पावर एग्रीमेंट्स में आए उछाल ने देश के पावर सेक्टर की ग्रोथ को और तेज किया है. आज दुनिया में 50% से ज्यादा पावर वॉल्यूम का लेन-देन डिमांड-सप्लाई प्लेटफॉर्म्स पर हो रहा है.’
गौतम अदाणी ने मुलाकात में कहा, ‘ये एनर्जी सेक्टर के लिए काफी उत्साहजनक वक्त है. फिलहाल मैन्युफैक्चरिंग, हाउसिंग और डेटा सेंटर्स से पैदा होने वाली मांग से पावर सेक्टर की ग्रोथ, खासतौर पर रिन्युएबल एनर्जी की ग्रोथ और तेज होने की उम्मीद है.’
नोट के मुताबिक, ‘अदाणी ग्रुप की ग्रोथ स्ट्रैटेजी होलिस्टिक है, जिसमें बैकवर्ड इंटीग्रेशन, कंट्रोल्ड लेवरेज, उत्पादन स्तर बढ़ाने और इक्विटी रिटर्न पर ध्यान केंद्रित है.’
गौतम अदाणी ने जेफरीज से कहा, ‘बैलेंस शीट पर बहुत ज्यादा कर्ज बढ़ाए बिना, बेहतर इक्विटी रिटर्न जेनरेट करना ग्रुप की कैपेसिटी एक्सपेंशन प्लान का मुख्य हिस्सा है.’
मीटिंग के बाद ब्रोकरेज ने नोट्स में कहा कि हाई क्वालिटी क्रेडिट रेटिंग बरकरार रखना और जरूरी कर्ज शर्तों का पालन करना अहम है, क्योंकि ब्याज, अनुमानित रिटर्न्स को प्रभावित कर सकता है.
जेफरीज ने नोट में कहा कि अदाणी ग्रुप ने हमेशा अपने दृष्टिकोण को धरातल पर लाने का माद्दा दिखाया है. चाहे ऑस्ट्रेलिया में खनन प्रोजेक्ट्स की बात हो या APSEZ के जरिए इंडियन लॉजिस्टिक्स में मार्केट लीडर बनना हो, हर जगह अदाणी ग्रुप ने अपना माद्दा दिखाया है.
भारत के ट्रांसमिशन सेक्टर में सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक अदाणी ग्रुप के वक्त पर भूमि अधिग्रहण, कार्यकुशल वेंडर एग्रीमेंट्स, ओवरसीज ग्रीन बॉन्ड्स की तरह के कंपटीटिव डेट तक एक्सेस, बैकवर्ड-फॉरवर्ड इंटीग्रेशन जैसे स्ट्रैटेजिक एडवांटेज के चलते ग्रुप तय समय पर अपने कार्यों को पूरा करने पर नियंत्रण बना पाता है. इससे भारत के एनर्जी सेगमेंट में अहम भूमिका अदा करने में अदाणी ग्रुप को मदद मिलती है.
2010 तक वैश्विक ऊर्जा जरूरतों का 17% हिस्सा इलेक्ट्रिसिटी के जरिए पूरा किया जाता था. अब ये हिस्सेदारी बढ़कर 21% पहुंच गई है. अब भी 79% जरूरतों की पूर्ती क्रूड ऑयल जैसे मॉलेक्यूल बेस्ड सोर्सेज से पूरी हो रही है.
नोट के मुताबिक कमर्शियल और इंडस्ट्रियल पावर एग्रीमेंट्स; खासतौर पर रिन्युएबल एनर्जी के लिए, ये अब 5GW के स्तर करो पार कर चुके हैं. इनमें लगातार ग्रोथ हो रही है. ‘ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस रूल्स, 2022’ से पावर सेक्टर को रिन्युएबल एनर्जी तक और ज्यादा पहुंच मिली है, इससे ग्रोथ भी तेज हुई है.
वैश्विक तौर पर पावर सेक्टर में काफी ग्रोथ हुई है. अब UK, जर्मनी और ऑस्ट्रिया जैसे देशों में एक्सचेंज की तरह के प्लेटफॉर्म्स पर 50% से ज्यादा पावर वॉल्यूम की ट्रेडिंग हो रही है.
कॉरपोरेट्स द्वारा कॉन्ट्रैक्ट किए जाने के ट्रेंड में इजाफे के चलते एक्सचेंज-ट्रेडिंग वॉल्यूम्स में इजाफा हो रहा है, जिससे कीमतों का निर्धारण बाजार पर आधारित होने का रास्ता साफ हो रहा है. इस बदलाव से भारत में कंपनियों को मुनाफा बनाने के नए मौके मिलेंगे.