By: ABP Live | Updated at : 13 Apr 2023 08:59 PM (IST)
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Adani Enterprises FPO: शेयर बाजार के रेग्युलेटर सेबी ने कहा कि उसके पास ये जानकारी नहीं है अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises ) के एफपीओ (FPO) में किन लोगों ने निवेश किया था. सेबी ने आरटीआई के तहत दाखिल किए सवाल के जवाब में ये जानकारी दी है. आरटीआई में सेबी से अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ में निवेश करने वाले निवेशकों और उनके द्वारा किए गए निवेश के रकम का ब्यौरा मांगा गया था. साथ ही सेबी से एफपीओ को रद्द करने का कारण भी पूछा गया था.
हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के अडानी समूह के खिलाफ रिपोर्ट के सामने आने के बाद समूह ने एक फरवरी 2023 को अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ को वापस लेने का एलान किया था. 27 जनवरी 2023 को अडानी एंटरप्राइजेज ने 20 हजार करोड़ जुटाने के लिए एफपीओ जारी किया था जो 1 फरवरी 2023 तक निवेश के लिए खुला था. लेकिन अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर के एफपीओ के प्राइस बैंड से नीचे गिर जाने के बाद अडानी ग्रुप ने एफपीओ वापस ले लिया था.
बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक प्रसनजीत बोस मानक व्यक्ति ने 31 जनवरी और 8 फरवरी को सेबी के पास दो आरटीआई दायर किया था. बोस ने अपीलेट अथॉरिटी के पास अपील दायर किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि आरटीआई के जरिए जो जानकारी मांगी गई है उसे देने से चीफ पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर (CPIO) ने इंकार कर दिया. इसके जवाब में रेस्पॉंडेंट ने आरटीआई द्वारा मांगी गई जानकारी पर कहा कि जो जानकारी मांगी जा रही है वो सेबी के पास उपलब्ध नहीं है.
अपील को खारिज करते हुए, अपीलेट अथॉरिटी ने कहा कि जो मांगी गई है वो जानकारी सार्वजनिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है, और जहां ऐसी जानकारी को किसी कानून या सार्वजनिक प्राधिकरण के नियमों या रेग्युलेशन के तहत बनाए रखने की आवश्यकता नहीं है, ऐसे में पब्लिक अथॉरिटी ऐसी जानकारी को जुटाने या मिलाने और फिर इसे आवेदक को उपलब्ध कराने के लिए बाध्य नहीं है.
हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट द्वारा किए गए खुलासे पर सेबी के जांच को लेकर अलग से आरटीआई आवेदन किया गया था. जिसमें ये जानकारी मांगी गई थी कि क्या रेग्युलेटर को अडानी समूह के खिलाफ शेयर की कीमतों में हेराफेरी, राउंड-ट्रिपिंग, अकाउंटिंग फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के संबंध में कोई शिकायत मिली थी. इसे भी इसी आधार पर अस्वीकार कर दिया गया. ये कहा गया कि ये स्पष्टीकरण या राय मांगने के समान है और उसे सूचना के रूप में नहीं माना जा सकता है. सेबी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के अडानी समूह की कंपनियों में एक्सपोजर की जानकारी रेग्युलेशन के तहत सामान्य तौर पर भी सेबी के पास नहीं रहती है.
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