Adani Power News Update: गौतम अडानी की कंपनी अडानी पावर के लिए राहत की खबर है. बांग्लादेश ने अडानी पावर से पूरे 1600 मेगावाट बिजली सप्लाई करने को कहा है. बांग्लादेश में राजनीतिक संकट गहराने के बाद से ही अडानी पावर पेमेंट बकाये के चलते केवल आधी ही बिजली सप्लाई कर रही थी. लेकिन बांग्लादेश सरकार ने अडानी पावर से पूरे 1600 मेगावाट बिजली सप्लाई करने को कहा है. इसी के चलते अडानी पावर के शेयरों में जोरदार तेजी देखी जा रही है और स्टॉक करीब 4 फीसदी के उछाल के साथ 511.90 रुपये पर जा पहुंचा है.
अडानी पावर ने साल 2017 में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान 25 सालों के लिए बिजनी सप्लाई का कॉन्ट्रैक्ट किया था. कंपनी झारखंड स्थित अपने पावर प्लांट से बांग्लादेश को बिजली सप्लाई कर रही थी. अडानी पावर का झारखंड में पावर प्लांट हैं जिसमें 800 मेगावाट क्षमता की दो यूनिट है जिससे केवल बांग्लादेश को बिजली सप्लाई की जाती है.
रॉयटर्स के रिपोर्ट के मुताबिक 31 अक्तूबर 2024 से अडानी पावर बांग्लादेश को केवल आधी ही बिजली सप्लाई कर रही थी. बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा की कमी का संकट पैदा हो गया था जिसके चलते बांग्लादेश अडानी पावर को बकाये का भुगतान नहीं कर पा रही थी. इसके चलते कंपनी को एक नंवबर से एक यूनिट को बंद करना पड़ा था जिसके चलते पावर प्लांट केवल 42 फीसदी क्षमता से ही ऑपरेट हो रही थी. बांग्लादेश ने अडानी पावर से तय कॉन्ट्रैक्ट का आधा ही बिजली सप्लाई करने को कहा था.
बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (Bangladesh Power Development Board) ने कहा कि वो अडानी पावर को हर महीने 85 मिलियन डॉलर का भुगतान कर रहा था जिससे बकाये का भुगतान किया जा सके और अब उसने कंपनी को दूसरे यूनिट से फिर से पावर सप्लाई करने को कहा है. बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमैन ने कहा है कि अभी हम 85 मिलियन डॉलर हर महीने भुगतान कर रहे हैं और ज्यादा भुगतान करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि अब अडानी के साथ कोई बड़ा मुद्दा नहीं है.
अडानी पावर के प्रवक्ता ने इसे लेकर अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया है. अडानी पावर में एक सोर्स ने कहा, बीपीडीबी पर कंपनी का लगभग 900 मिलियन डॉलर बकाया था, जबकि करीम ने तब कहा था कि केवल 650 मिलियन डॉलर ही बकाया है. सितंबर महीने में बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद बांग्लादेश सरकार ने शेख हसीना सरकार द्वारा हस्ताक्षर किए ऊर्जा सौदों की जांच के लिए विशेषज्ञों का एक पैनल नियुक्त किया था.
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