चूंकि बात गैरी सोबर्स की शुरू हो चुकी है तो बता दें कि वे 1958 में भी वेस्ट इंडीज टीम के साथ दिल्ली खेलने आए थे। वे तब दिल्ली यूनिवर्सिटी भी गए थे। मशहूर कमेंटेटर रवि चतुर्वेदी ने बताया कि वेस्ट इंडीज की टीम 1958 में गैरी सोबर्स की कप्तानी में भारत आई थी। उस दौरान जब उनका दिल्ली में मैच चल रहा था तब ही डीयू का इंटर कॉलेज का फाइनल मैच सेंट स्टीफंस कॉलेज और हिंदू कॉलेज के दरम्यान चल रहा था। तब वेस्ट इंडीज की टीम विश्राम वाले दिन उस मैच को कुछ देर के लिए देखने के लिए गई थी। रवि चतुर्वेदी को डीयू में जाकर मैच देखने की बात खुद सोबर्स ने कुछ साल पहले बताई थी। वेस्ट इंडीज की उस टीम में सोबर्स के अलावा रफ्तार के सौदागर वेस हॉल भी थे। डीयू में इंटर कॉलेज क्रिकेट चैंपियनशिप के फाइनल मैच को देखने के लिए भारी भीड़ रहा करती थी।
महान बल्लेबाज वीरेन्द्र सहवाग ने एक बार कहा था कि वे बचपन में रवि चतुर्वेदी की कमेंट्री को सुनकर ही क्रिकेट के संसार से जुड़े थे। रवि चतुर्वेदी ने फिरोजशाह कोटला से ही अपने कमेंटेटर के करियर का श्रीगणेश किया था। उन्होंने पहली बार 7 फरवरी, 1964 को भारत- इंग्लैंड के बीच कोटला में खेले गए टेस्ट मैच की कमेंट्री की थी। वे तब लोदी रोड के एक सरकारी फ्लैट में रहते थे। वहां से थ्री वीलर पर सुबह कोटला पहुंचे थे। उसी टेस्ट मैच में राजस्थान के हनुमंत सिंह ने अपना पहला टेस्ट खेला था। उन दिनों को याद करते हुए रवि चतुर्वेदी कहते हैं कि तब भी क्रिकेट का क्रेज तो देश में था। पर तब दर्शक मैदान में झंडे या बैनर लेकर नहीं आते थे। उन्होंने आकाशवाणी से 100 से अधिक टेस्ट मैचों का आंखों-देखा हाल सुनाया और क्रिकेट पर 20 से अधिक किताबें लिखीं।