दिन भर, 28 मार्च: जेल से चल सकती है सरकार लेकिन मुश्किलें हजार! – Aaj Tak

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पिछले कुछ दिनों में दिल्ली का तापमान अचानक बढ़ गया है. सूबे के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने यहाँ का सियासी पारा भी हाई कर दिया है. मामला सड़क और कोर्ट-कचहरी दोनों जगह उतनी ही इंटेंसिटी से गूँज रहा है. दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने आज फिर सीएम केजरीवाल को 1 अप्रैल तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया. वहीं, बीजेपी लगातार सीएम के इस्तीफे की मांग कर रही है. दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी ने केजरीवाल को झूठा बताया है.
दूसरी तरफ एक और अर्जी हाईकोर्ट में डाली गई थी. जिसमें सीएम केजरीवाल को पद से हटाने की मांग की गई थी.हालांकि अदालत ने इसे कार्यपालिका का मामला बताकर दखल देने से इनकार कर दिया.दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में केजरीवाल की हिरासत को लेकर आज क्या सुनवाई हुई, ईडी की हिरासत से सरकार चलाना क्या ये नैतिकता का मामला है और इस पर कानून क्या कहता है? सुनिए ‘दिन भर’ की पहली ख़बर में.
देश में चुनावी मेला लगा है. चारों दिशाओं में चुनावी गतिविधियां चरम पर हैं. आज पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन का आखिरी दिन था. वहीं दूसरे चरण के चुनाव के लिए आज ही से नामांकन शुरू हो गया है. आज हम उत्तर भारत की एक सीट की बात करेंगे. जहां करीब साढे़ तीन दशक बाद गांधी परिवार से किसी को टिकट नहीं मिला है. हम यूपी की पीलीभीत सीट, मेनका गांधी और वरुण गांधी की बात कर रहे हैं. नेपाल की सीमा से सटे पीलीभीत सीट पर इस बार बीजेपी ने ना मां को टिकट दिया और ना ही बेटे को.मेनका गांधी को बीजेपी ने सुल्तानपुर चुनाव लड़ने भेज दिया है. इन सब के बीच आज पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी ने आज भारतीय जनता पार्टी से टिकट कटने के बाद अपने चुनावी क्षेत्र की जनता के नाम भावुक चिट्ठी लिखी है. जिसमें उन्होंने पीलीभीत की जनता से जुड़ाव का जिक्र किया है. मेनका गांधी की कांग्रेस से एग्जिट और बीजेपी में इंट्री कैसे हुई थी, वरुण गांधी को को कब लगा कि टिकट कट ही जायेगा और निर्मला सीतारमण का बयान क्या इस बार सरकार से एग्जिट लेने के संकेत है? सुनिए ‘दिन भर’ की दूसरी ख़बर में.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और पिंकी आनंद समेत देश के 600 से ज्यादा वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को एक लेटर लिखा है. इस लेटर में कहा गया है कि एक विशेष ग्रुप देश में ज्यूडिशियरी को कमजोर करने में जुटा हुआ है और इसका काम अदालती फैसलों को प्रभावित करने के लिए दबाव डालना है. विशेष रूप से ऐसे मामलों में जिनसे या तो नेता जुड़े हुए हैं या फिर जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. इसमें ये भी कहा गया है कि इनकी गतिविधियां देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने और न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास के लिए खतरा है.हरीश साल्वे और बाकी वकील किसकी ओर कर रहे हैं इशारा? सुनिए ‘दिन भर’ की आखिरी ख़बर में.
 
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