अडानी समूह द्वारा स्थापित एक रिन्युएबल एनर्जी प्रोजेक्ट (सौजन्य सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : ग्रीन एनर्जी प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिये अडानी ग्रुप एनर्जी ट्रांजिशन प्रोजेक्ट में 100 अरब डॉलर का निवेश करेगा। ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी ने बुधवार को यह जानकारी देते हुये कहा कि अडाणी ग्रुप ऊर्जा बदलाव परियोजनाओं और मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश करेगा जिसका मकसद हरित ऊर्जा उत्पादन के लिए जरूरी सभी प्रमुख कलपुर्जों का विनिर्माण करना है।
अडाणी ग्रुप सूर्य की रोशनी से बिजली का उत्पादन करने के लिए सौर पार्क और पवन फार्म बनाने के प्रोजेक्ट्स पर पहले से ही काम कर रहा है। इसके अलावा अडाणी ग्रुप ग्नीन एनर्जी के क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन, पवन ऊर्जा टर्बाइन और सौर पैनल बनाने के लिए इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण सुविधाएं स्थापित कर रहा है। हरित हाइड्रोजन को स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलाइजर की मदद से पानी से हाइड्रोजन को अलग करके बनाया जाता है। इसे उद्योग के साथ-साथ परिवहन क्षेत्र को कॉर्बन-मुक्त करने के लिए एक संभावित उपाय के रूप में देखा जा रहा है।
क्रिसिल द्वारा आयोजित ‘बुनियादी ढांचा-भारत के भविष्य के लिए उत्प्रेरक’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बुधवार को अडाणी ने कहा कि एनर्जी ट्रांजिशन और डिजिटल इन्फ्रास्टरक्चर अरबों डॉलर के अवसर हैं। ये भारत को स्थानीय और वैश्विक स्तर पर बदल देंगे। उन्होंने कहा कि अगले दशक में वे एनर्जी ट्रांजिशन के क्षेत्र में 100 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करेंगे और अपनी इंटीग्रेटेड रिन्युएबल एनर्जी वैल्यू चेन का और विस्तार करेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी वैल्यू चेन में पहले से हर एक जरूरी कलपुर्जें का विनिर्माण शामिल है।
कोयले-से-बंदरगाह क्षेत्र में कार्यरत अडाणी ग्रुप दुनिया के सबसे कम महंगे हरित इलेक्ट्रॉन का उत्पादन करना चाहता है जो कई क्षेत्रों के लिए फीडस्टॉक का काम करेगा। इसे लेकर अडाणी ने कहा कि ऐसा करने के लिए हम पहले से ही कच्छ जिले (गुजरात में) के खावड़ा में दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल साइट रिन्युएबल एनर्जी पार्क बना रहे हैं। केवल इस सिंगल साइट से 30 गीगावाट बिजली पैदा होगी, जिससे कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 2030 तक 50 गीगावाट पर पहुंच जाएगी। अडाणी ने कहा कि ऊर्जा बदलाव का क्षेत्र वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य को हमेशा के लिए मौलिक रूप से बदल देगा। उन्होंने कहा कि 2023 में वैश्विक ऊर्जा बदलाव बाजार का मूल्य लगभग 3,000 अरब डॉलर था, जिसके बढ़कर 2030 तक 6,000 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है। उसके बाद 2050 तक यह हर 10 साल में दोगुना हो जाएगा। (एजेंसी इनपुट के साथ)