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किसी भी संघर्ष के समय अस्पताल सबसे सुरक्षित जगह माने जाते हैं. क्योंकि उसकी सुरक्षा जो है, वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मातहत आती है. इसलिए लोग अक़्सर जंग के समय इन अस्पतालों में आसरा लेते हुए दिख जाते हैं. लेकिन मंगलवार की देर रात शायद दुनिया या कम से कम उन फिलिस्तीनियों की ये समझ ध्वस्त हो गई जब उन पर मिसाइल हमले हुए. 500 लोगों के मरने की अब तक बात कही जा रही. बड़ी संख्या में लोग घायल हैं. गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक हमला अल अराबी बैपटिस्ट अस्पताल पर हुआ. लोगों को उम्मीद थी कि ईसाई मिशनरीज के अस्पताल पर इजरायली सेना हमला करेगी. लेकिन इसके उलट हुआ. फिलिस्तीन ने तीन दिन का शोक घोषित किया है. गाजा के अधिकारियों ने कहा है मतकों की संख्या बढ़ सकती है. अस्पताल पर हुए इस हमले के बाद इलाक़े में शांति बहाल करने की हो रही पहल को बड़ा धक्का लगा है. जॉर्डन में आज अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जॉर्डन के किंग अब्दुल्लाह, फ़लस्तीनी और इजिप्ट के नेताओं की अहम बैठक होनी थी. ये बैठक अब रद्द कर दी गई है.मिडिल ईस्ट के अलग-अलग देशों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं. जिनमे यमन, मोरक्को, इराक़, लेबनान, तुर्की और ईरान शामिल हैं. इस बिगड़ते माहौल में आज राष्ट्रपति बाइडेन इज़रायल पहुंचे. इज़रायली पीएम नेतन्याहू से उन्होंने मुलाकात की. कहा, लगता नहीं कि अस्पताल पर हमला इज़रायल ने किया है. इज़रायल-हमास जंग में ग्राउन्ड का ज़ीरो नज़ारा क्या है, सुनिए ‘दिन भर’ में.
और अब बात इंडिया टुडे की पत्रकार रही सौम्या विश्वनाथन की हत्या मामले की. 15 साल पहले 30 सितंबर, 2008 को सौम्या अपनी कार में मृत पाई गई थीं. उन्हें चलती कार में गोली मारी गई थी. आज दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इस मामले में सभी 5 आरोपियों को दोषी करार दिया. इनमें से चार को हत्या और मकोका जबकि एक को मकोका के तहत दोषी करार दिया गया है. दिल्ली सरकार ने 2002 में मकोका कानून को लागू किया था. मकोका के तहत संगठित अपराध जैसे अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधी, जबरन वसूली, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या या हत्या की कोशिश या फिर धमकी, उगाही जैसे मामले आते हैं. मकोका के बाद आरोपियों को जमानत मिलना आसान नहीं होता. अब 26 अक्टूबर को इस मामले के सभी दोषियों की सजा पर बहस होगी. इन 15 बरसों में ये केस किस तरह के उतार चढ़ाव से गुजरा? कोर्ट ने किन सबूतों के आधार पर आज पांच आरोपियों को दोषी पाया, सुनिए ‘दिन भर’ में.
कांग्रेस पार्टी को भी एक पल को समझ न आए जो कई मर्तबा अचानक से उसके साथ होने लगता है. अब देखें, कहां तो उनका हाईकमान राजस्थान, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम विधानसभा चुनावों के लिए प्रत्याशियों के नाम फाइनल करने और संगठन को एकजुट रखने में जुटा है. कांग्रेस पार्टी की इलेक्शन कमेटी की मीटिंग आज भी दिल्ली में इस सिलसिले में हुई. लेकिन जब पार्टी ये सबकुछ कर रही थी, कर्नाटक कांग्रेस से आ रहीं खबरें उसकी चिंताएं बढ़ा रही थी. खुसफुसाहट है कि सिद्दारमैया सरकार में मंत्री सतीश जारकिहोली नाराज हैं और मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के मैसूर दौरे पर 20 विधायकों को लेकर शक्ति प्रदर्शन की तैयारी में थे. लेकिन ऐन मौके पर कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कुछ समझाया और वो मान गएं. सतीश जारकिहोली की नाराजगी क्या थी जो 20 विधायकों का जमावड़ा उन्होंने जुटा लिया? इस विवाद का वहां के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बनाम उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच जो अनकही तकरार है, उससे भी कुछ लेनादेना है क्या, सुनिए ‘दिन भर’ में.
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